Unbelievable Tata Hydrogen Engine अरब हुआ पागल! टाटा ये इस इंजन के बिना दुनिया की कोई गाड़ी नहीं चलेगी |24

Tata Hydrogen Engine

Tata Hydrogen Engine :- टाटा ने बनाया ऐसा इंजन जो 10 में 200 किलोमीटर चलेगा पेट्रोल डीजल का खेल हुआ खत्म| अरब देशों की बजी बैंड आत्मनिर्भरता की ताकत ने पूरे जापान को हिलाकर रख दिया| अब ऑटोमोबाइल सेक्टर में आएगी नई क्रांति दोस्तों ऑटोमोबाइल सेक्टर की एक जानी मानी कंपनी जिसका नाम है| टाटा अब एक ऐसी नई टेक्नोलॉजी विकसित करके एक ऐसा इंजन तैयार किया है|

Tata Hydrogen Engine

जो ऑटोमोबाइल सेक्टर में नई क्रांति ला देगा| दुनिया भर के जितने भी व्हीकल्स हैं| उनका ग्लोबल मार्केट से छुट्टी कर देगा अब चाहे पेट्रोल बेस्ड व्हीकल्स हो, डीजल बेस्ड व्हीकल्स हो, या फिर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स हो|

 सभी का पत्ता पूरी तरह से साफ होने वाला है| क्योंकि टाटा के इस इंजन का दूर-दूर तक कोई कंपट मौजूद नहीं है |अब पेट्रोल डीजल के साथ-साथ बैटरी का भी खेल खत्म हो जाएगा|

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और अब टाटा के इस कदम से अरब देशों में मातम छा गया है| जैसा कि हम सबको पता है, कि इस समय पेट्रोल डीजल की कीमत आसमान छू रही है| साथ ही साथ प्रदूषण इतना ज्यादा फैल गया है, कि हमारी धरती घायल हो चुकी है|

इसलिए दुनिया भर के देश पेट्रोल डीजल के अल्टरनेटिव ढूंढने में लगे हुए हैं |लेकिन अभी तक 100% सफलता नहीं मिली | अभी देखा जाए तो इसका अल्टरनेटिव बैटरी को देख जा रहा है|

इसीलिए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बड़े स्केल पर डेवलप किया जा रहे हैं |लेकिन यह इसका परमानेंट सॉल्यूशन नहीं है| अभी भी रिसर्च चल रहा है| ताकि इसका 100% अल्टरनेटिव तैयार किया जा सके|

लेकिन इसी बीच टाटा ने एक ऐसा कारनामा करके पूरी दुनिया को दंग कर दिया है| जो बड़े-बड़े डेवलप देश नहीं कर पाए, उसको टाटा ने करके इतिहास रच दिया है|

टाटा ने पेट्रोल डीजल का अल्टरनेटिव 100% ढूंढ लिया है| और का इस्तेमाल करके टाटा ने यह इंजन तैयार किया है| दरअसल दोस्तों आखिरकार देश की पहली हाइड्रोजन इंजन फैक्ट्री भारत में हाइड्रोजन इंटरनल कन्वर्शन इंजन का प्रोडक्शन शुरू कर चुकी है |

और भारत का नाम उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में आ चुका है| जो हाइड्रोजन इंजन प्रोड्यूस कर सकते हैं |सबसे बड़ी बात यह है, कि इंजन फैक्ट्री का निर्माण पिछले साल यानी कि 2023 में शुरू किया गया था|

और इनॉगरेशन के बाद टाटा की यह फैक्ट्री देश का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन इंजन रोल आउट करेगी| तो पूरी खबर क्या है |दरअसल टाटा और टाटा के साथ जेवी में अमेरिकन कंपनी कमिंस इन हाइड्रोजन इंजन का प्रोडक्शन शुरू कर चुकी है |

यह इंजन जमशेदपुर में प्रोड्यूस किए जा रहे हैं और शुरुआत में इस फैक्ट्री में केवल मीडियम और हैवी कमर्शियल गाड़ियों के लिए ही हाइड्रोजन इंजन प्रोड्यूस होंगे|

पर इसकी उम्मीद है ,कि इसी यूनिट में छोटी पैसेंजर गाड़ियों के लिए भी हाइड्रोजन इंजन प्रोड्यूस हो आपको बता दें कि भारत में टाटा कमिंस का जेवी 50-50 पार्टनरशिप में इस जेवी को चलाता है|

Tata Hydrogen Engine
Tata Hydrogen Engine

और इनके मैन्युफैक्चर्ड इंजन टाटा की गाड़ियों के अलावा कुछ और बड़े कमर्शियल व्हीकल्स मैन्युफैक्चर अपनी गाड़ियों में करते हैं| वैसे आपको बता दें कि यह जेवी भारत में कुल मिलाकर 22 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स ऑपरेट करता है|

और भारत में बने इंजन आज 50 से ज्यादा देशों को एक्सपोर्ट होते हैं| कहने का मतलब यह है कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग हाइड्रोजन इंजंस यूरोप जैसे देशों को भी एक्सपोर्ट होंगे| क्योंकि यूरोप में ऑलरेडी हाइड्रोजन बेस्ड मोबिलिटी का इस्तेमाल शुरू हो चुका है|

वैसे पिछले साल ही टाटा ने अपने पहले Hydrogen ट्रक को भी लौँच किया था| जो लोग नहीं जानते उनको बता दें कि टाटा ने 2021 में 15 फ्यूल सेल बसेज का टेंडर जीता था| और इन बसेज का ऑर्डर टाटा को इंडियन ऑनल कॉर्पोरेशन से मिला था|

लेकिन टाटा की यह बसें 100% स्वदेशी नहीं है |क्योंकि इनमें इंपोर्टेड हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स का इस्तेमाल हुआ है| पर अब जो ट्रक्स टाटा भारत में लॉन्च करेगा उन्हें 100% स्वदेशी माना जा सकता है|

क्योंकि इंजन के पार्ट्स और कंपोनेंट्स लोकल वेंडर्स और सप्लायर से लिए जाएंगे भारत के अलावा भारत के पड़ोसी देशों के लिए भी एक खुशखबरी है | क्योंकि फाइनली भारत इन देशों के एनर्जी बिल को कम करने में मदद कर सकेगा|

अब जाहिर तौर पर काफी बड़ी खबर तो है ,लेकिन इसके बावजूद फिलहाल यह नए इंजन डीजल इंजन को कम से कम 10 साल तक रिप्लेस नहीं कर सकते|

और इसका सबसे बड़ा कारण है, Hydrogen की ज्यादा कीमतें भारत में अभी तक 1 किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन 250 से 500 की कीमत पर मिलती है| लेकिन यह भी सच है कि हाइड्रोजन ज्यादा माइलेज के साथ किसी भी ईंधन से ज्यादा सुपीरियर होता है|

लेकिन टाटा ने हाइड्रोजन की कीमत को बेहद कम करने के लिए एक लैब तैयार किया है| जहां आने वाले समय में देश के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन इंटरनल कन्वर्शन इंजंस डेवलप किए जाएंगे|

अशोक लेलैंड भी इस तरह के हाइड्रोजन इंजन पहले से डेवलप कर रही है| लेकिन टाटा की लैब देश में पहली बार पैसेंजर गाड़ियों के लिए भी हाइड्रोजन इंजंस को डेवलप करने का काम करेगी |

इकोनॉमिक टाइम्स की आर्टिकल के मुताबिक टाटा ने हाल ही में ऐसी दो लैब का उद्घाटन किया है| जहां ना केवल हाइड्रोजन इंजंस बल्कि फ्यूल सेल और हाइड्रोजन के प्रोडक्शन पर भी रिसर्च की जाएगी|

आपको बता दें कि ऑलरेडी टाटा कमिंस के साथ मिलकर हाइड्रोजन आईसी इंजन और फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी पर काम शुरू कर चुकी है| लेकिन हाइड्रोजन पावर ट्रेन पर बेस्ड नए इंजन को स्क्रैच से भी डेवलप किया जा रहा है|

Tata Hydrogen Engine

Credit to – Indra tiwari TUTORIAL

जिससे भारत की वेदर कंडीशन के हिसाब से ऐसे इंजन को ट्यून और रिफाइन किया जा सके, टाटा समेत toyota’s और दुनिया के बड़े ऑटोमोबिल जायंट इस बात को जानते हैं कि बैटरी पावर्ड गाड़ियां ज्यादा दिनों तक सस्टेन नहीं कर सकती|

और हाइड्रोजन को ही फ्यूल ऑफ द फ्यूचर के तौर पर देखा जाता है| यही वजह है, कि अभी तक आपको दुनिया की बड़ी कार कंपनी की तरफ से बैटरी पावर्ड गाड़ियां अभी तक देखने को नहीं मिली हैं|

फ्यूल सेल्स का भी ऐसा ही कुछ हिसाब किताब है | क्योंकि इस टेक्नोलॉजी में भी बैटरी की जरूरत पड़ती है| और गाड़ियों की उम्र कम हो जाती है| हालांकि हाइड्रोजन इंजन वाली गाड़ियों के साथ ऐसा नहीं है|

लंबी रेंज के अलावा चार्जिंग की दिक्कत तो खत्म होती ही है|इसके अलावा बैटरी रिप्लेसमेंट का सवाल भी खत्म हो जाता है, लेकिन हाइड्रोजन आईसी इंजन से भी ऊपर एक हाईली एडवांस टेक्नोलॉजी पर काम शुरू किया जा चुका है|

अशोक लेलैंड ने ऐसे इंजन के डेवलपमेंट पर काम शुरू किया है| जिसमें एक ही इंजन को हाइड्रोजन के अलावा सीएनजी एलएनजी और बायोगैस से चलाया जा सके देश की पहली हाइड्रोजन बस दिल्ली में शुरू हो चुकी है|

Tata Hydrogen Engine
Tata Hydrogen Engine

जहां अशोक लेलैंड की बसेज को लेह में डिप्लॉयडोकस दिल्ली में उतारी जा चुकी है| इसके अलावा हाइड्रोजन ट्रेंस भी भारत में दो जगह उतारी जाने वाली हैं| अब पहली ट्रेन हरियाणा की जिनमें चलेगी कालका शिमला रूट पर यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा|

लेकिन यह बात तो तय है, कि भारत को इलेक्ट्रोलिसिस के अलावा हाइड्रोजन इंजन और फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी की भी जरूरत पड़ने वाली है |लेकिन अभी भी दिक्कत वहीं की वहीं है|

और यह दिक्कत है हाइड्रोजन को सेफली स्टोर करने की ऑलरेडी इसको लेकर कुछ टेक्नोलॉजी मार्केट में कमर्शियल अवेलेबल हैं| लेकिन इनकी कीमत कहीं ज्यादा है |इनकी कीमत को कम करने के लिए ही टाटा ने इस लैब को स्थापित किया है|

क्योंकि अभी तक इस क्षेत्र में भारत के अंदर रिसर्च ना के बराबर हुई है| और भारत को शुरू से ही टेक्नोलॉजी की कीमतें कम करने के लिए जाना जाता है| हम उम्मीद करते हैं कि जल्द टाटा की तरफ से हमें देश का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन आईसी इंजन देखने को मिले|

अगर बात करें कि हाइड्रोजन इंजन काम कैसे करता है? तो आपको बता दें हाइड्रोजन इंजन हाइड्रोजन से फ्यूल बनाकर उससे व्हीकल्स को स्पीड देने का काम करता है| इसमें मोटर और इलेक्ट्रिक सर्किट से जुड़ी बैटरी से हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन की रिएक्शन कराई जाती है |

Tata Hydrogen Engine

Credit to – Radhika CarTech India

जिसमें फ्यूल बनने के बाद कार्बन का उत्सर्जन नहीं होता है| इसकी कैपेसिटी भी दर फ्यूल की अपेक्षा अधिक होती है| साथ ही इसका एनर्जी लेबल अधिक होता है |ऐसे में इसे पेट्रोल डीजल तथा अदर फ्यूल की तुलना में बेहतर विकल्प माना जा रहा है|

पूरे देश में ग्रीन एनर्जी को लेकर चिंता हो रही है| और 20170 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन की स्थिति लाने का लक्ष्य तय किया जा रहा है| झारखंड में इस दिशा में बढ़ा यह कदम देश में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है|

टाटा मोटर्स का कहना है कि कंपनी 25 से 30 वर्ष में ऑटोमोबाइल सेक्टर में शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है| ग्रीन टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट में प्रतिवर्ष 4000 से ज्यादा हाइड्रोजन आईसी और फ्यूल एग्नोर इंजन तथा 10000 से ज्यादा बैटरी प्रोडक्शन करने का टारगेट निर्धारित किया गया है|

History of Hydrogen Engine

हाइड्रोजन कार कैसे काम करती है?

हाइड्रोजन से चलने वाले इंजन के प्रकार, हाइड्रोजन कार के फायदे और नुकसान, क्या इसका कोई भविष्य है? और क्या आपको इसे खरीदना चाहिए या नहीं? यदि आप इनमें से किसी को छोड़ना चाहते हैं? तो नीचे दिए गए समय टिकटें अनुभाग हाइड्रोजन-संचालित इंजन आपकी सोच से कहीं अधिक पुराने हैं|

दो शताब्दियों से भी अधिक समय पहले फ्रांसीसी आविष्कारक फ्रेंकोइस इसाक डे रिवास ने एक आदिम इंजन विकसित किया था |जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन द्वारा संचालित होता था| और एक विद्युत चिंगारी द्वारा प्रज्वलित होता था|

हाइड्रोजन वाहनों को दो भागों में संचालित किया जा सकता है। अलग-अलग तरीके, एक ईंधन सेल प्रणाली के साथ और दूसरा आंतरिक दहन इंजन के साथ, आइए जानें कि हाइड्रोजन से चलने वाली कार ईंधन कोशिकाओं के साथ कैसे चलती है|

इसलिए हाइड्रोजन से चलने वाली कार एक इलेक्ट्रिक मोटर से संचालित होती है, इसमें एक ईंधन सेल होता है, एक उपकरण जो रसायन लेता है| हाइड्रोजन के रूप में ऊर्जा और इसे बिजली में बदल देती है|

जो बैटरी की तरह एक इलेक्ट्रिक मोटर को शक्ति दे सकती है| पहले हाइड्रोजन को एक टैंक में संग्रहित किया जाता है| जो मोटी दीवार वाला होता है |और क्रैश परीक्षण किया जाता है|

और आमतौर पर पीछे की सीट के नीचे हवा के साथ मिलाया जाता है| और ईंधन सेल में पंप किया जाता है| कोशिका के अंदर एक रासायनिक प्रतिक्रिया हाइड्रोजन से इलेक्ट्रॉनों को निकालती है|

बचे हुए हाइड्रोजन प्रोटॉन कोशिका में घूमते हैं |और हवा से ऑक्सीजन के साथ मिलकर पानी का उत्पादन करते हैं| इस बीच इलेक्ट्रॉन बिजली बनाते हैं| जो एक छोटी भंडारण बैटरी को चार्ज करती है |

जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन को बिजली देने के लिए किया जाता है। इलेक्ट्रिक वाहन, यही कारण है कि वाहनों को बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहन कहा जाता है|

जो हमारी सड़कों पर पहले से ही तेजी से देखे जा रहे हैं|ईंधन सेल और बैटरी ईवीएस के बीच सबसे बड़ा अंतर, जैसे टेस्ला कार बिजली का स्रोत है, इलेक्ट्रिक कारें चलती हैं|

बैटरियां सौर पैनलों से भी विद्युत रूप से चार्ज होती हैं | लेकिन हाइड्रोजन से चलने वाली कारें अपनी खुद की बिजली का उत्पादन करती हैं| उनके बोर्ड पर उनका छोटा बिजली संयंत्र होता है|

जो ईंधन सेल होता है |और अब आइए जानें कि आंतरिक दहन इंजन के साथ हाइड्रोजन कार कैसे चलती है, इस प्रकार के वाहन अलग होते हैं| दहन प्रक्रिया के कारण हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन, हाइड्रोजन आईसी इंजन पारंपरिक गैसोलीन-संचालित इंजन का एक संशोधित संस्करण है|

इस तरह दहन प्रक्रिया अन्य उच्च तापमान दहन ईंधन जैसे गैसोलीन डीजल या प्राकृतिक गैस हाइड्रोजन के समान है| इंजन वास्तव में कई मायनों में गैस से चलने वाली मोटरों के समान हैं, वे दोनों सेवन संपीड़न इग्निशन और निकास के लिए चार-स्ट्रोक डिज़ाइन का उपयोग करते हैं |

और दोनों एक ही प्रकार की ध्वनि बनाते हैं |मुख्य अंतर निकास प्रणाली में है, इसकी अनुपस्थिति कार्बन का मतलब है| कि पारंपरिक पेट्रोलियम इंजन के मुख्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को खत्म करने के लिए कोई सह-उत्पादन नहीं किया जाता है|

जहरीली नाइट्रोजन गैसों के बजाय हाइड्रोजन मोटर अपने दहन चक्र के मुख्य उपोत्पाद के रूप में पानी का उत्पादन करते हैं| क्योंकि इंजन द्वारा उत्पादित गर्मी के कारण अभी भी कुछ हानिकारक उत्सर्जन होते हैं।

लेकिन लगभग उतना नहीं जितना एक सामान्य गैस इंजन पैदा करता है, इसलिए हाइड्रोजन इंजन को शून्य उत्सर्जन नहीं माना जाता है| नकारात्मक पक्ष यह है कि हाइड्रोजन परमाणु के बहुत छोटे आणविक आकार के कारण हाइड्रोजन को संभालना मुश्किल होता है|

हाइड्रोजन कई ठोस पदार्थों के माध्यम से रिसने में सक्षम होता है| शेष हाइड्रोजन हवा के साथ मिश्रित गैस संभावित रूप से विस्फोटक होती है| हाइड्रोजन ने वैकल्पिक सड़क परिवहन ईंधन के रूप में अपने शुरुआती वादे को पूरा करने के लिए अब तक संघर्ष किया है|

लेकिन यह एक ऐसा विषय है| जो दूर जाने से इनकार करता है, उत्सर्जन मुक्त उत्सर्जन उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं में इसके उपयोग की अभी भी काफी संभावनाएं हैं।

बिजली ब्रिटेन की सड़कों पर हाइड्रोजन कारें हैं और जबकि आपको अभी एक कार ढूंढने में कठिनाई हो सकती है, टोयोटा होंडा और हुंडई जैसे निर्माताओं ने पहले से ही अपने हाइड्रोजन मॉडल का उत्पादन किया है, हाइड्रोजन पेट्रोल या डीजल की तुलना में एक स्वच्छ ईंधन है| परिवर्तित होने पर यह पूरी तरह से उत्सर्जन मुक्त होता है |

बिजली पैदा करने के लिए ईंधन सेल प्रणालियों में पेट्रोल या डीजल की तुलना में हाइड्रोजन को मिलाने में बहुत कम परेशानी होती है| और ईंधन सेल के साथ हवा और ईंधन के अनुपात की व्यापक रेंज में इसे पूरी तरह और कुशलता से जलाया जाता है|

वाहन में अधिकांश हाइड्रोजन टैंक ईंधन सेल के साथ- साथ इलेक्ट्रिक भी होते हैं। सभी मोटरों को एक संगत इकाई में संयोजित किया जाता है, एक हाइड्रोजन आईसी इंजन हार्डवेयर को सरल बनाता है ,क्योंकि यह मूल रूप से अच्छा पुराना दहन इंजन है|

जिसे हाइड्रोजन पर चलने के लिए परिवर्तित किया गया है, मौजूदा इंजनों को कुछ घटकों को बदलकर पेट्रोल या डीजल के बजाय हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।

ईंधन वितरण प्रणाली और स्पार्क प्लग एक उदाहरण है, टोयोटा द्वारा जीआर युरिस से लिया गया हाइड्रोजन-संचालित तीन-सिलेंडर रेसिंग इंजन का विकास और इसका उपयोग फ़ूजी में 24 घंटे दर्ज किए गए एक विशेष रूप से विकसित कोरोला स्पोर्ट को शक्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है।

आप हाइड्रोजन कार में ईंधन कैसे भरते हैं? हाइड्रोजन ईंधन भरने वाला स्टेशन काफी हद तक जर्मनी के पेट्रोल स्टेशन जैसा दिखता है, अमेरिका और अन्य देशों में हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले पंप पारंपरिक पेट्रोल स्टेशनों पर स्थित होते हैं|

आप इसे पेट्रोल या डीजल कार की तरह भर सकते हैं, हाइड्रोजन बाउसर में एक पंप होता है जिसमें एक नोजल होता है| जो कार पर चिपक जाता है ,एक बार सील लग जाने के बाद हाइड्रोजन गैस टैंक में भरना शुरू कर देती है|

 यदि सील नहीं लगी है तो यह पंप करना शुरू नहीं करेगी, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई रिसाव नहीं है हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशन एक सामान्य हाइड्रोजन कार टैंक को लगभग पांच मिनट में भर सकते हैं|

यह बैटरी की तुलना में एक फायदा है संचालित कारें जिन्हें चार्ज होने में बहुत अधिक समय लग सकता है, वह हाइड्रोजन है जो कारों का भविष्य है।

हाइड्रोजन ग्रह पर सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है| और यह 1807 से बहुत पहले इंजनों द्वारा संचालित होने वाला सबसे स्वच्छ ईंधन भी है, हालांकि हाइड्रोजन वास्तव में विकसित नहीं हुआ है।

मोटरिंग जगत के कई निर्माताओं ने प्रौद्योगिकी के साथ प्रयोग किया है, और जबकि कुछ ने कम संख्या में हाइड्रोजन-संचालित वाहनों का उत्पादन करने के लिए प्रतिबद्ध किया है, बड़े पैमाने पर उपयोग अभी भी बहुत दूर है, इस बीच इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री लगातार बढ़ रही है|

और बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में हर साल 162 प्रतिशत अधिक बिक्री हो रही है। पिछले वर्ष और इस तरह की रुचि के साथ निर्माता हाइड्रोजन जैसी विशिष्ट तकनीक पर ईवीएस में पैसा लगाने का जोखिम उठा सकते हैं|

हाइड्रोजन वाहनों के लिए संघर्ष का एक अन्य कारण मौजूदा बुनियादी ढांचा है, वहां केवल बहुत कम संख्या में हाइड्रोजन-ईंधन वाले स्टेशन हैं, जो कि पर्याप्त नहीं हैं।

ड्राइवर पेट्रोल और डीजल के साथ काम कर सकते हैं, हाइड्रोजन वाहन ईवी की तुलना में कम कुशल हैं, क्योंकि हाइड्रोजन स्वाभाविक रूप से नहीं होता है, इसे निकाला जाना चाहिए|

और फिर ईंधन टैंक में संपीड़ित किया जाना चाहिए, इस समय उत्पादन में एकमात्र ईंधन सेल ईवी हुंडई नेक्सो क्रॉसओवर और टोयोटा मिराई हैं। होंडा के साथ हाल ही में स्पष्टता ईंधन सेल पर प्लग हटा दिया गया है|

हुंडई और टोयोटा दोनों ईंधन सेल को बिजली देने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं| जो एक रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करता है| और वाहन को चलाने के लिए एक इलेक्ट्रिक मोटर को शक्ति देता है|

लेकिन यह एक जटिल प्रक्रिया है और अब इसका उपयोग महंगा है, टोयोटा एक आंतरिक दहन इंजन के रूप में अधिक प्रत्यक्ष और लगभग स्वच्छ समाधान का प्रस्ताव कर रहा है| जो हाइड्रोजन पर चलता है, तो हाइड्रोजन वाहनों के कुछ फायदे क्या हैं|

एक इलेक्ट्रिक कार को रिचार्ज करने की तुलना में तेजी से ईंधन भरना, एक हाइड्रोजन वाहन पूरी तरह से ईंधन भर सकता है| तीन से पांच मिनट में ईंधन भर जाता है, कोई हानिकारक उत्सर्जन नहीं होता है, हाइड्रोजन ईंधन सेल कार से उत्सर्जित होने वाली एकमात्र चीज पानी है|

प्रति टैंक लगभग 300 मील की रेंज के साथ हाइड्रोजन कारें कई पारंपरिक वाहनों के बराबर हैं, अच्छी दक्षता का स्तर ईंधन है। सेल पावरट्रेन पारंपरिक कारों की तुलना में हाइड्रोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में पेट्रोल या डीजल से ऊर्जा प्राप्त करने में अधिक कुशल हैं|

और हाइड्रोजन कारों के ईंधन भरने वाले स्थानों के नुकसान के बारे में क्या, वर्तमान में यूके में केवल 17 ईंधन भरने वाले स्टेशन हैं और प्रत्येक स्टेशन की लागत 1.3 मिलियन है|

निर्माण करना पाउंड महंगा है, हालांकि हाइड्रोजन कार में ईंधन भरने की लागत पारंपरिक ईंधन के समान है, प्रौद्योगिकी विकसित करना सस्ता नहीं है और न ही हाइड्रोजन को भंडारण या स्थानांतरित करना ही सुरक्षा जोखिम माना जाता है|

हाइड्रोजन ज्वलनशील है, लेकिन पेट्रोल भी ज्वलनशील है और यह बंद नहीं हुआ है हम लाखों पेट्रोल कारें चलाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाइड्रोजन कारें अपने ऊर्जा भंडार से भरी होती हैं|

वे आम तौर पर एक समय में 300 मील तक पहुंचने वाली लंबी दूरी हासिल करने में सक्षम होती हैं, जबकि अधिकांश पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहन एक बार चार्ज करने पर 100 से 200 मील के बीच यात्रा कर सकते हैं|

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