निर्माण का रहस्य: मायसूर पैलेस का निर्माण 1912 में हुआ था, लेकिन इसकी पहली संरचना 14वीं सदी में बनाई गई थी।

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गुलाबी और सुनहरी रोशनी: पैलेस में हर साल दीपावली के समय 97,000 बल्ब लगाए जाते हैं, जिससे यह एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।

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संगीत का समावेश: पैलेस में एक संगीत कक्ष है, जहां रियासत के समय शाही संगीतकारों द्वारा संगीत की महफिलें सजती थीं।

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भव्य नक्षत्र: इसकी वास्तुकला में कई शैलियों का मिश्रण है, जिसमें हिंदू, मुस्लिम और गोथिक शैली शामिल हैं।

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जन्म का जश्न: दशहरा उत्सव के दौरान पैलेस में भव्य समारोह आयोजित होते हैं, जहां कई कलाकार और शिल्पकार अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं।

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खूबसूरत दीवान-ए-आम: पैलेस के दीवान-ए-आम में विशेष रूप से बनाई गई टाइलें हैं जो भारतीय शिल्पकला की बेजोड़ मिसाल हैं।

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सुरंगों का रहस्य: पैलेस के नीचे कई सुरंगें हैं जो राजमहल को अन्य महत्वपूर्ण स्थानों से जोड़ती थीं।

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चित्रकला की दीवानगी: यहां मौजूद दीवारों पर कई अद्भुत चित्र हैं, जो मायसूर के इतिहास को दर्शाते हैं।

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धातु की थाली: पैलेस के मेहमानों के लिए बनाई गई विशेष थाली, जो चांदी से निर्मित है, आज भी उपयोग में है।

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सुरक्षा की व्यवस्था: पैलेस के चारों ओर कई सुरक्षा उपाय हैं, जिनमें अदृश्य कैमरे और आधुनिक तकनीक का उपयोग शामिल है।

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