भारत, ब्रिटेन से 100 मीट्रिक टन Gold वापस लाया |एक जमाना था जब भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन मुगल आए फिर अंग्रेज आए और सबने भारत को सैकड़ों सालों तक ऐसा लूटा कि देश आजाद हुआ |
तो ऐसे दिन भी देखने पड़े जब भारत को अपना गोल्ड यानी सोना विदेश में जाकर गिर भी रखना पड़ा जिससे देश चलाने के लिए कुछ पैसा उधार मिल सके लेकिन नरेंद्र मोदी के युग ने सब कुछ बदल दिया है आज भारत इस मजबूत स्थिति में है |
पीएम मोदी ने ब्रिटेन की बैंक में रखा भारत का 100 टन गोल्ड 100 टन सोना वापस मंगवा लिया नरेंद्र मोदी यह है नए भारत की ताकत बॉस कि दिया था जब गरीब थे दिया था जब कमजोर थे अब भारत मजबूत है |
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विदेशी बैंक से अपना गोल्ड वापस लाना कोई मामूली बात नहीं है इसके लिए देश की इकॉनमी और देश के प्रधानमंत्री दोनों का मजबूत होना पहली शर्त है |
इसके बारे में आपको आगे एक एक चीज विस्तार से बताऊंगा लेकिन हर हिंदुस्तानी के लिए करने वाली खबर यह है कि भारत का 100 टन यानी 1 लाख किलो गोल्ड वापस भारत आ गया है |
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आज भारत की इकॉनमी रॉकेट बनी हुई है जीडीपी ग्रोथ 8 पर के पार है पूरी दुनिया में भारत की जीडीपी की स्पीड पर हल्ला मचा हुआ है बहुस कैसे ये लोग कर रहे हैं हम तो नहीं कर पा रहे इस सबके बीच भारत का 100 टन गोल्ड वापस आ गया है |
100 टन गोल्ड वापस आने से भारत के खजाने में कितना फायदा होगा यह आगे बताऊंगा लेकिन उससे पहले समझिए की बात है |
आप आप जैसे कोई मिडिल क्लास आदमी घर का लोन चुका देता है इतना कमाने लगता है कंधे से लोन का कर्ज बोज झाड़ देता है यह गर्व की बात होती है |
उस वैसे ही एक देश अपना सोना वापस ला सके यह गर्व की बात कितना गोल्ड भारत लाया गोल्ड लाया भारत 100 टन 100 टन का मतलब कितना हुआ इसका मतलब हुआ 1 लाख केजी 1 लाख किलो इतना सोना लाया है |
भार और गोल्ड की कीमत क्या है गोल्ड की कीमत चल रही है 74 लाख रप पर केजी 7 लाख र पर केजी यानी इसकी कुल कीमत जितना गोल्ड आया है उसकी कुल कीमत कितनी है आपको पता है 7000 करोड़ रुपए इतना सोना भारत वापस ले आए |
सोना ब्रिटेन से 100 टन सोना लाना कोई आसान काम नहीं था | इस निर्णय को लेने के लिए कई इंटरनेशनल प्रेशर से लेकर देश की अर्थव्यवस्था के उतार चढ़ाव को स्टडी किया गया |
इसके अलावा सुरक्षा को लेकर कई ऐसे पहलू थे जिसमें रिस्क का फैक्टर बहुत ज्यादा था| जैसे ब्रिटेन से 100 टन गोल्ड भारत लाने के लिए दोनों देशों की सरकारों के बीच कई दौर की बातचीत ई भारत की तरफ से वित्त मंत्रालय और आरबीआई जबकि ब्रिटेन की वित्त मंत्रालय और बैंक ऑफ इंग्लैंड के बीच कई मीटिंग्स हुई |
ब्रिटेन की बैंक में रखा भारत का 100 टन गोल्ड 100 टन सोना वापस लाया |
दोनों देशों में सहमति बनने के बाद 100 टन गोल्ड के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कई महीनों तक प्लानिंग से लेकर एग्जीक्यूशन के कई पहलुओं को देखा गया |
इसके लिए सबसे पहले गोल्ड को ट्रकों के जरिए लंदन के बैंक ऑफ इंग्लैंड से निकालकर एयरपोर्ट पहुंचाया गया |इसके बाद स्पेशल कार्गो एयरक्राफ्ट के जरिए भारत के दो शहर मुंबई और नागपुर में यह 1 लाख किलो सोना आया|
लंदन से लेकर मुंबई और नागपुर तक जबरदस्त सिक्योरिटी के इंतजाम किए गए | ऐसा बताया जा रहा है कि 100 टन गोल्ड ट्रकों के जरिए मुंबई के मिंट रोड पर रिजर्व बैंक ऑफिस और नागपुर में पहुंचा दिया गया |
आपको सुनकर अजीब लगेगा कि इस गोल्ड पर आरबीआई को कस्टम ड्यूटी से तो छूट मिल गई लेकिन सरकार को जीएसटी चुकानी पड़ी |
दरअसल यह नियम है कि इंपोर्ट किए गए सामान पर जीएसटी देना अनिवार्य है | ऐसा माना जाता है कि घर में गोल्ड का भंडार होना आर्थिक स्थिति अच्छी होने का संकेत यही नियम देश पर भी लागू होता है |
भारत बनेगी सोनेकी चिड़िया
इस पर पीएम मोदी लगातार देश में गोल्ड का भंडार बढ़ाते जा रहे हैं | यही वजह है कि आज भारत दुनिया के टॉप 10 गोल्ड रिजर्व देशों में शामिल हो गया है| मार्च 2024 के अंत तक आरबीआई के पास करीब 882 टन गोल्ड का भंडार था |
इसमें से करीब 414 टन गोल्ड विदेशों में जमा था जबकि पिछले साल मार्च 2023 में गोल्ड का भंडार करीब 795 टन यानी पिछले साल के मुकाबले रिजर्व बैंक ने करीब 27 टन गोल्ड ज्यादा खरीदा है |
इसमें भी पिछले चार महीनों में में आरबीआई ने रिकॉर्ड स्तर पर 24 टन गोल्ड खरीदा अगर इस गोल्ड की कीमत की बात की जाए तो मार्च 2023 में इस गोल्ड के भंडार की कीमत 2733 करोड़ जो मार्च 2024 में बढ़कर 27 4714 करोड़ पर पहुंच गए |
अब यह भी समझिए कि भारत अपना गोल्ड रिजर्व विदेशों में क्यों जमा करता है | और इसे पीएम मोदी ने फिर भारत लाने का फैसला क्यों लिया भाई देश में चुनाव चल रहा था |
नरेंद्र मोदी का अपना काम चलता रहता है | देश का उधर वह चुनाव में व्यस्त थे विपक्ष का सोना उठना गड़बड़ा हुआ था |यह देश के सोने में लगे हुए गोल्ड वाला सोना विदेशों में गोल्ड रखने की एक वजह यह है कि गोल्ड की सेफ्टी की जा सके और इसके खतरे को कम किया जा सके |
भारत,ब्रिटेन से100मीट्रिक टन सोना वापस लाया
दरअसल युद्ध प्राक प्राकृतिक आपदा और राजनीतिक अस्थिरता में देश की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है | इसलिए गोल्ड के भंडार को अलग-अलग देशों में स्टोर किया जाता है |
इसके अलावा अगर किसी देश की करेंसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होती है | तो गोल्ड के भंडार होने से उस देश की परचेसिंग पावर यानी क्रय शक्ति खरीदने की शक्ति मजबूत होती है | इससे वह विदेशों से इंपोर्ट आसानी से कर सकता है |
विदेशों में गोल्ड स्टॉक रखने से महंगाई दर कंट्रोल करने में मदद मिलती है |और फॉरेन रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत रहता है |विदेशों में गोल्ड रिजर्व रखने का मतलब है कि उस देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है |
आज की तारीख में भारत की जीडीपी ग्रोथ रॉकेट की स्पीड से 8.2 प्र पर पहुंच गई इसके अलावा भारत को बैंक ऑफ इंग्लैंड में गोल्ड भंडार रखने के लिए एक महंगी फीस देनी पड़ रही है |
आपको जानकर हैरानी होगी कि 1962 से 1968 के बीच नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी की सरकार ने ऐसी कई गलतियां की जिसकी वजह से 1990 आते-आते भारत कंगाली की कगार पर आ गया |
1962 में नेहरू सरकार देश में गोल्ड कंट्रोल एक्ट लेकर आई जिसमें बैंक्स की तरफ से दिया जाने वाला गोल्ड लोन बंद कर दिया गया | 1963 में 14 कैरेट से ऊपर के सोने के गहने बनाने पर रोक लगा दी गई |
इसके बाद 1968 में आम जनता को सोने के सिक्के और सोने के बिस्किट रखने से रोक दिया गया | इसके अलावा सोने के गहने बनाने वाले छोटे व्यापारियों को 100 ग्राम से ज्यादा सोना रखने की परमिशन ही नहीं थी |
गोल्ड के बड़े व्यापारियों को आपस में गोल्ड एक्सचेंज करने पर भी रोक लगा दी गई कांग्रेस सरकार को यह भरोसा था, कि ऐसा करने से गोल्ड रिजर्व बढ़ेगा और उससे इकॉनमी को फायदा मिलेगा |
लेकिन हुआ इसका उल्टा भारत में गोल्ड की तस्करी और हवाला कारोबार बहुत बढ़ गया | आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में गोल्ड का एक अलग काला बाजार खड़ा हो गया |
इन लोगों के चक्कर इसका नतीजा यह निकला कि 1990 में वीपी सिंह सरकार को गोल्ड कं कंट्रोल एक्ट 1968 को वापस लेना पड़ा |लेकिन तब तक देश का बहुत नुकसान हो चुका था |
साल 1991 में चंद्रशेखर सरकार को 400 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए विदेशों में करीब 47 टन गोल्ड गिरवी रखना पड़ा | आज नरेंद्र मोदी अपना सोना वापस ला रहे हैं |
ऐसी भी सरकारें रखी रही जिनको गोल्ड रखकर कर्जा ले ना पड़ा जैसे आप फिल्मों में नहीं देखते साहूकार के पास गए सोना दिए पैसा लेकर आए वह देश को करना पड़ा|
RBI के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने अपनी किताब फोक्स इन द रोड नाम की किताब में यह बताया है |
31 साल बाद ब्रिटेन से 100 टन गोल्ड वापस लाया #RBI, जानिए क्यों रख दिया गया था 1991 में गिरवी#RBIGoldStoragehttps://t.co/r8E1y6YqyQ
— DNA Hindi (@DnaHindi) May 31, 2024
कि 1991 में इस गोल्ड को मुंबई एयरपोर्ट से एक हवाई जहाज के जरिए विदेशों में भेजा गया | यही वजह है कि अब पीएम मोदी भारत के गोल्ड रिजर्व को मजबूत करने में लगे जितना सोना देश के खजाने में रहेगा उतनी आपकी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है|
आप किसी भी देश से डील कर सकते हैं , वो कहेगा कि मान लो तुम्हारे रुपए की वैल्यू हम क्यों माने ,नहीं चला कैसे करोगे |आप क्या करोगे बस सोना रखा हुआ है, और सोना की कीमत ऊपर ही रहती है मुंह प मारेंगे तुम्हारे सो वो तुरंत आपके पैर में गिरता है सोना मजबूत बनाता है|
इसके लिए महीनों की योजना और सटीक निष्पादन की आवश्यकता थी | जिसमें वित्त मंत्रालय आरबीआई और अन्य सरकारी विभागों के बीच समन्वय शामिल था। इस प्रकार उन्होंने सीमा शुल्क में छूट को समाप्त कर दिया, आरबीआई को देश में सोना लाते समय सीमा शुल्क से छूट दी गई थी|
भावनात्मक भागफल के अलावा सोने की यह वापसी एक बड़े राजकोषीय कारक को भी बताती है | जिसका अर्थ है कि मौद्रिक स्थिरता होने वाली है, बाजार में और इसका मतलब यह भी है |
हर सरकार के पास अधिक सोने का भंडार उपलब्ध है, हर वित्तीय अर्थव्यवस्था वास्तव में अपने राजस्व या अपने खर्चों को उनके पास मौजूद सोने के भंडार के आधार पर तय करती है|
जिसका अनिवार्य रूप से मतलब है, कि जहां तक कीमत का सवाल है, इसमें गिरावट आ सकती है। वृद्धि का संबंध है, यह मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर सकता है और सिस्टम में अब अधिक से अधिक पैसा उपलब्ध है,
लेकिन फिर भी उसे आयातित विशेष विमान और सुरक्षा पर एकीकृत कर का भुगतान करना पड़ता था, उन्होंने परिवहन के लिए विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था के साथ एक विशेष विमान का उपयोग किया था। सोने के भंडारण की बचत अब सोने को वापस लाकर आरबीआई भारत में बैंक ऑफ इंग्लैंड को भुगतान की जाने वाली कुछ भंडारण लागत बचाता है |
एक देश की मुद्रा पर निर्भर रहना खतरे से खाली नहीं है, सोना अब दुनिया के लिए नई करेंसी बनता जा रहा है | भारत के साथ-साथ अब कई देश डॉलर से ज्यादा सोने को पसंद कर रहे हैं |
आप ही सोचिए कि अगर किसी दिन अमेरिका बर्बाद हो गया तो पूरी दुनिया को ले डूबेगा क्योंकि अभी भी दुनिया के पास व्यापार करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में डॉलर ही सबसे ज्यादा है |
डॉलर से दूर जाने की इस प्रक्रिया को डी डॉलराइजेशन कहा जा रहा है आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि पिछले 4 साल में भारत ने 110 टन से ज्यादा सोना खरीद लिया है |
इसके अलावा भारत लगातार रुपए को स्ट्रांग करता जा रहा है, दुनिया के कई देशों में अब यूपीआई चल रहा आप विदेशों में घूमने और शॉपिंग के लिए अब सीधे रुपए में भुगतान कर सकते हैं |
वर्तमान में, स्थानीय स्तर पर रखा गया सोना मुंबई और नागपुर में उच्च सुरक्षा वाली तिजोरियों और सुविधाओं में संग्रहीत किया जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने FY24 में यूके में संग्रहीत अपने 100 मीट्रिक टन सोने को घरेलू तिजोरियों में स्थानांतरित कर दिया है।
यह महत्वपूर्ण हस्तांतरण 1991 के बाद से भारत द्वारा सोने की सबसे बड़ी गतिविधियों में से एक है, जब सोने के भंडार का एक हिस्सा विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए गिरवी रखा गया था।
भारत बनेगी सोनेकी चिड़िया Summary :-
- आरबीआई ने यूके से 100 टन सोना अपने भारत में स्थानांतरित किया
- 1991 के आर्थिक संकट के बाद पहला बड़े पैमाने पर सोने का हस्तांतरण
- मार्च 2024 तक आरबीआई का सोने का भंडार बढ़कर 822.10 टन हो गया
Conclusion :-
अन्य देशों की तरह भारत की भी बैंक ऑफ इंग्लैंड में हिस्सेदारी थी। भारत में 100 मीट्रिक टन की आवाजाही से स्थानीय स्तर पर संग्रहीत कुल सोने की मात्रा 408 मीट्रिक टन से अधिक हो गई है, जिसका अर्थ है कि स्थानीय और विदेशी होल्डिंग अब लगभग समान रूप से विभाजित है।
FAQ :-
1.RBI भारत में सोना क्यों ले जाता है?विश्व स्तर पर केंद्रीय बैंक सोने में रखे गए भंडार को बढ़ा रहे हैं, जिसे अक्सर मुद्रा की अस्थिरता और भू-राजनीतिक जोखिमों के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है। TOI की रिपोर्ट के अनुसार, RBI ने भारत में सोना ले जाने का फैसला किया क्योंकि विदेशों में स्टॉक बढ़ रहा था।
2.भारत में सोने के भंडार को कौन नियंत्रित करता है?
RBI के वार्षिक डेटा के अनुसार, 31 मार्च, 2024 तक केंद्रीय बैंक के पास अपने विदेशी मुद्रा भंडार के हिस्से के रूप में 822.10 टन सोना था। यह पिछले साल इसी अवधि के दौरान रखे गए 794.63 टन से अधिक था।
3.RBI के पास कितना सोना है?
मार्च 2024 तक, RBI का कुल स्वर्ण भंडार 822.10 मीट्रिक टन है। कीमती वस्तु का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में संग्रहीत है। भारत के पास भी अन्य देशों की तरह बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास सोना है।
4.RBI भारत में सोना क्यों लाता है?
वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक सोने की अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं, जिसे अक्सर मुद्रा की अस्थिरता और भू-राजनीतिक जोखिमों के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है। आरबीआई ने सोने को भारत में स्थानांतरित करने का फैसला किया क्योंकि विदेशी भंडार बढ़ रहा था
5.1 टन सोने का मूल्य कितना है?
तो, एक टन सोने की कीमती धातु का मूल्य कितना है? 2022 में एक टन की कीमत उच्चतम $65,000,000 से अधिक और सबसे कम कीमत $52,000,000 से कम होगी। यह गणना करने के लिए कि एक टन सोने का मूल्य कितना होगा, आप एक मोटे आंकड़े के लिए किलो सोने की कीमत को 1,000 से गुणा कर सकते हैं।
6.100 टन सोने पर RBI का बयान?
GENERAL KNOWLEDGE FAQ :-
1.पृथ्वी पर कितना सोना है?
लगभग 244,000 मीट्रिक टन
अब तक लगभग 244,000 मीट्रिक टन सोना खोजा जा चुका है (ऐतिहासिक रूप से उत्पादित 187,000 मीट्रिक टन और 57,000 मीट्रिक टन का वर्तमान भूमिगत भंडार)।
2.सबसे ज्यादा सोना किसके पास है?
संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 8,100 टन से अधिक के बड़े अंतर से दुनिया का सबसे बड़ा सोने का भंडार है। अमेरिकी सरकार के पास जर्मनी, इटली और फ्रांस के लगभग उतने ही भंडार हैं, जो संयुक्त रूप से अगले तीन सबसे बड़े सोना रखने वाले देश हैं।
3.भारत में सोने की खदानें कहाँ है?
भारत का 80 प्रतिशत सोना कर्नाटक में उत्पादित होता है। इसे “सोने की भूमि” कहा जाता है। कोलार में स्थित, देश की सबसे बड़ी सोने की खदान को कोलार गोल्ड फील्ड्स कहा जाता है।
4.भारत के किस राज्य में सबसे अधिक सोना पाया जाता है?
विश्व में कितना सोना पाया गया है? | अमेरिकी भूवैज्ञानिक…
अब तक लगभग 244,000 मीट्रिक टन सोना खोजा जा चुका है (ऐतिहासिक रूप से उत्पादित 187,000 मीट्रिक टन और 57,000 मीट्रिक टन का वर्तमान भूमिगत भंडार)। अधिकांश सोना केवल तीन देशों से आया है: चीन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका।